स्कूल में अक्सर इस बात पर जोर दिया जाता है कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दें। लेकिन माता-पिता और शिक्षक कहीं न कहीं यह भूल जाते हैं कि बच्चे के सीखने के शुरूआती सालों में अगर उसे सही मार्गदर्शन दिया जाए तो वे किताबी ज्ञान के अलावा और भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। जैसे कि दिल्ली के रहनेवाले अनुग्रह सेतया ने सीखा। मात्र 20 वर्ष की उम्र में अपना स्टार्टअप चला रहे, अनुग्रह ने 13-14 साल की उम्र में ही यूट्यूब के जरिए कोडिंग सीखना शुरू कर दिया था। दरअसल अनुग्रह को तकनिकी में दिलचस्पी थी और वह चाहते थे कि वह भी नयी-नयी तकनीकों का इस्तेमाल करके कोई इनोवेशन करें। ऐसी ही कुछ कहानी, अनुग्रह के दोस्त और को-फाउंडर, मोहम्मद फैज़ की भी है, जो 22 साल के हैं। उन्होंने भी छोटी उम्र में ही कंप्यूटर और तकनीकों से अपना रिश्ता जोड़ लिया था।
आज इन दोनों दोस्तों को आविष्कारक और उद्यमी के रूप में जाना जाता है। अनुग्रह और फैज़ मिलकर Hybrid Idea Solutions नाम से अपना स्टार्टअप चला रहे हैं, जिसके जरिए वे अलग-अलग कंपनियों और संगठनों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से तकनीक बनाते हैं। कम उम्र से ही समस्याओं का हल ढूंढ़ने की चाह रखने वाले अनुग्रह और फैज़ के पास जानकारी और स्किल्स की कोई कमी नहीं है।
लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले अनुग्रह और फैज़ के पास इतने साधन नहीं थे कि वे अपनी तकनीकों को सीधा आम लोगों तक पहुंचा सकें। इसलिए उन्होंने तय किया कि वे ऐसे संगठनों की मदद करें, जो बड़े स्तर पर साधारण लोगों के लिए काम कर रहे हैं।
कम उम्र में, बड़े इनोवेशन
अनुग्रह बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले ‘Apex Band‘ बनाया था, जिसके जरिए लोग अपने भावों से अपने किसी भी डिवाइस जैसे टीवी, फोन को कंट्रोल कर सकते हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी यह कारगर है। क्योंकि अगर कभी कोई महिला मुसीबत में हो तो वह इस बैंड के जरिए पुलिस को अलर्ट भेज सकतीं हैं। अपने इस इनोवेशन के लिए अनुग्रह को भारत के ‘टॉप 100 यंग इनोवेटर्स’ की लिस्ट में शामिल किया गया और उन्हें भारत के विज्ञान और तकनीक विभाग व इंटेल की तरफ से अवॉर्ड भी मिला था।
वहीं, दूसरी तरफ फैज़ भी अपने इनोवेशन पर काम कर रहे थे। उनका प्रोजेक्ट ThumbFi भी अपने आप में काफी अलग था। क्योंकि इसके जरिए कोई भी किसी भी तरह के डिवाइस को कंट्रोल कर सकता है। उन्हें भी अपने इस इनोवेशन के लिए IRIS National Fair में अवॉर्ड मिला था।
फैज़ कहते हैं, “अनुग्रह से मेरी दोस्ती सोशल मीडिया के जरिए हुई। हम दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी साझा किया करते थे। इसके बाद एक कार्यक्रम में हमारी मुलाक़ात हुई, जिसके बाद हम अलग-अलग आयोजनों में साथ-साथ हिस्सा लेने लगे।”
उन्होंने बताया कि अनुग्रह ने इसके बाद एक और इनोवेशन किया, जिसका नाम है Eye-Q, जो एक खास तरह का हेडसेट है। इसमें कैमरा लगा हुआ है। यह खासतौर पर नेत्रहीन लोगों के लिए बनाया गया है। अगर कोई नेत्रहीन व्यक्ति इस हेडसेट को पहनता है तो इसमें लगा कैमरा उनके आसपास की तस्वीरें लेता है और इन्हें प्रोसेस करके हेडसेट व्यक्ति को बताता है कि उसके आसपास क्या-क्या चीजें हैं। अपने इस इनोवेशन के प्रोटोटाइप को अनुग्रह ने नेशनल इनोवेशन फेस्टिवल में प्रदर्शित किया।
अपने इस सफर के बारे में अनुग्रह बताते हैं, “मैंने जब नेशनल इनोवेशन फेस्टिवल में अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया तो वहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियों के डायरेक्टर और सीईओ भी थे। उनमें से एक, डॉ. एस प्रताप रेड्डी भी थे, जिन्होंने ऑटिज़्म पर काम करने की सलाह दी। इसके बाद, मैंने और फैज़ साथ मिलकर अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। इसके लिए हमें नीति आयोग से मदद मिली।”
डॉ. रेड्डी, ध्रुवा कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट के संस्थापक व चेयरमैन हैं। उन्होंने बताया कि 2017 में इनोवेशन समिट में उन्होंने अनुग्रह के एक इनोवेशन के बारे में सुना।
इसके बाद, उन्होंने अनुग्रह से ऑटिज़्म पर भी काम करने के लिए कहा। क्योंकि अनुग्रह की तकनीकें दिव्यांगों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं। इसलिए डॉ. रेड्डी को विश्वास है कि आने वाले समय में अनुग्रह और उनकी टीम ऑटिस्टिक लोगों के लिए भी जरूर कुछ कर पायेगी। अनुग्रह और फैज़ ने अपना स्टार्टअप शुरू करने के बाद इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया था। उन्होंने बताया कि हमारे देश में दिव्यांगों के लिए तकनीकें तैयार करना और उन्हें टेस्ट करना इतना आसान नहीं है। उन्होंने कुछ तकनीकें विकसित की हैं और कुछ पर अभी काम कर रहे हैं।
अपनी तकनीक के जरिए कर रहे सामाजिक संगठनों की मदद
फैज ने बताया, “हमारा एक प्रोजेक्ट रुक गया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि हम आगे नहीं बढ़ें। हमने सोचा कि अगर हम खुद सीधा लोगों तक नहीं पहुंच सकते हैं तो फिर हम ऐसे संगठनों से जुड़ सकते हैं जो आम लोगों के लिए काम कर रहे हैं। देश में ऐसे बहुत से एनजीओ, सीएसआर फर्म्स हैं जो लोगों के लिए काम कर रही हैं। लेकिन सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले बहुत ही कम संगठन एडवांस तकनीक के साथ काम कर रहे हैं। इसलिए हमने इन संगठनों के लिए तकनीक तैयार करना शुरू किया ताकि वे ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर सकें।”
जैसे कि उन्होंने जनांजल संगठन के लिए एक खास तरह की तकनीक बनाई है। जनांजल का उद्देश्य लोगों तक शुद्ध और साफ पीने का पानी पहुंचाना है और वह भी बहुत ही किफायती कीमत पर। इसके लिए उन्होंने देश में अलग-अलग जगह पर वाटर एटीएम लगाएं हैं, जहां से लोग साफ और शुद्ध पीने का पानी ले सकते हैं। इन वाटर एटीएम को और एडवांस बनाने के लिए अनुग्रह और फैज़ ने अपनी टीम के साथ मिलकर, इनमें एक खास तरह के सेंसर लगाएं हैं। इससे जनांजल के अधिकारी अपने दफ्तर में रहते हुए ही पानी की गुणवत्ता, पीएच लेवल आदि चेक कर सकते हैं। अगर किसी कारण इन वाटर एटीएम में कोई समस्या आती है तो टीम को तुरंत अलर्ट मिल जाएगी।
“जनांजल के अलावा हम और भी कई कंपनियों और संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जैसे अडानी, VOSAP, ACH, AVYN आदि। अब तक हम लगभग 25 अलग-अलग तकनीकों पर काम कर चुके हैं और कई प्रोजेक्ट्स अभी चल रहे हैं। इसके साथ ही, कोरोना महामारी से पहले तक हम स्कूल और कॉलेज में छात्रों को वर्कशॉप भी दे रहे थे। हमारी योजना है कि अगले साल तक हम फिर से अपनी वर्कशॉप शुरू कर पाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कोडिंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, IoT जैसी तकनीकों के बारे में जानने का अवसर मिले,” अनुग्रह ने कहा।
अपने स्टार्टअप के साथ अनुग्रह और फैज़ पढ़ाई भी कर रहे हैं। अनुग्रह कंप्यूटर साइंस तो फैज़ इलेक्ट्रॉनिक्स में अपनी डिग्री कर रहे हैं। साथ ही, अपनी स्किल और इनोवेशन से वे लाखों में कमाई भी कर लेते हैं। फिलहाल, उनकी टीम में 10 से 12 लोग काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, “हमारा उद्देश्य स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी लोगों की समस्यायों को हल करना है। अब हम डॉक्टर तो नहीं हैं जो किसी कि आंख या कान ठीक कर दें। लेकिन अपनी स्किल्स का इस्तेमाल करके हम ऐसी तकनीक जरूर बना सकते हैं, जो उन्हें अपनी जिंदगी सहूलियत से जीने में मदद करें।”
अगर आप अनुग्रह और फैज के काम के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
संपादन- जी एन झा
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